वो चाहते भी बे-सहारा होती गई
रौशनी भी मजबूर होती गई
वो इतने करीब आई थी मेरे
आकर मुजसे दूर होती गई
में चाहता था उसका नाम हो
फिर शहर में मशहूर होती गई
एक दिन आया नहीं वो परिंदा
मेरी जिंदगी भी मुजसे दूर होती गई
रूश्वाईया बढ़ती चली गई मुजमे
मेरी कलम मुजसे दूर होती गई
के बी सोपारीवाला