माॅं हमारी सभी के नखरे उठाती है,
सुबह से लेकर देर रात तक काम करती रहती है।
माॅं हमारी ख़याल हम सभी का रखती है,
पर खुद का ख़याल नहीं करती है।
माॅं हमारी दिन-रात हम में ही उलझी रहती है,
हमारी देखभाल में खुद को भूली रहती है।
माॅं हमारी हर पल हमारे लिए ही मन्नतें करती है,
पर कभी किसी प्रार्थना में खुद का ज़िक्र नहीं करती है।
माॅं हमारी हमे राजकुमारी सी रखती है,
पर कभी खुद महारानी सी नहीं रहती है।
माॅं हमारी हमे पेट भर तरह-तरह के पकवान खिलाती रहती है,
और जब आखरी में खुद के लिए ना बचे कुछ
तो बिना हमे पता चले भूखी ही सो जाती है।
💐 रीना कुमारी प्रजापत 🖋️🖋️