ठोकरें हज़ार मिलेगी
नया ज़माना है
धैर्य से राहत रख
अनेकों सलाह मिलेगी
अपेक्षा मत रख
पग पग नफ़रत मिलेगी
लम्हां लम्हां जी ले
वक्त कि भी नसीहत मिलेगी
रूप-रंग, धन-दौलत
उसमें ना तेरी पहचान मिलेगी
कर्म ही सर्व श्रेष्ठ हैं
उसमें तेरी मौजूदगी मिलेगी
नाशवंत जीवन आस न रख
आह में तेरी तन्हाई मिलेगी
जो चाहो वो मिले
शक्य कहां हताशा मिलेगी
हंस कर चलो
खुश रहो अजीब ऊर्जा मिलेगी
अंदाज अपना कोई न अपना
गैरों में न स्नेह गंगा मिलेगी
ए वाक्यों की भाषा है
अंतस में उससे राहतें-ए महक मिलेगी
मैं से निकल ईर्षा न रख
परिवर्तन तय है, ज़रूर स्वीकृति मिलेगी