जिंदगी रंगीन है कभी हार है कभी जीत है,
कभी गम के बादल छा गए कभी खुशियों की बरसात भी है,
है अगर धूप तो छाँव का भी मौसम है,
अब धूप की तपिश चली गई, कुछ सुकून का मौसम आया है,
आज जीत का मौसम आया है....
इक दोस्त (अशोक जी) जो वापस आया है,
कुछ संघर्षों से बाधाओं से,
जो बीत गया वो बात गयी....आओ फिर से सुरुआत करें,
काव्या ही जीवन है और जीवन की राह काव्य,
अपनी टीम को शुभ कामनाएँ .....
अपने मैनेजर साहब अब ठीक हैं
सर्वाधिकार अधीन है