जख्म भर गए हैं,
निशांनात अभी बाकी हैं।
सिलसिले खत्म हुए,
अंधियारी रात अभी बाकी हैं।
हैं बेपनांह हुस्न मगर,
दाग अभी बाकी हैं।
सात स्वर फूटे,
मगर अपने राग अभी बाकी हैं।
गुलाब की तरह खिली,
मगर खार अभी बाकी हैं।
बीती बातों की चुभन,
मगर सार अभी बाकी हैं।
बदनसीबी है बदनसीब की,
मगर अफसाने अभी बाकी हैं।
मिलते थे जहां हम तुम,
वो ठिकाने अभी बाकी हैं।
चकनाचूर कर दिया,
मगर खंडहर अभी बाकी हैं।
दिल में पड़ी दरारें,
मगर यादें अभी बाकी हैं।
उभरी हैं शीशे पै,ऐ!"विख्यात"
वो तस्वीरें अभी बाकी हैं।