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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

प्यार समझने वाला

कितना भी जतन कर लो वही होता।
होनी-अनहोनी में फर्क़ बहुत कम होता।।

गलती निकालने वाले मिल जायेगे बहुत।
सलीके से बताने वाला इंसान कम होता।।

मेरे मुँह पर मेरे जैसी तुम्हारे पर तेरे जैसी।
हकीकत समझाने वाला इंसान कम होता।।

बच्चे हो या बड़े बुराईयों से आकर्षित होते।
अच्छाई पर चलने वाला इंसान कम होता।।

प्यार को व्यापार बनाने वाले 'उपदेश' कम।
मगर प्यार समझने वाला इंसान कम होता।।

- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (1)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

आपके शेरों में ज़िंदगी की सच्चाई का आईना है, और वो भी बिना किसी दिखावे के।
"सलीके से बताने वाला इंसान कम होता" — इस एक मिसरे में ही पूरी दुनिया की कमी उजागर हो गई।
हर शेर जैसे तजुर्बे से निकली बात — गहराई भी है, सच्चाई भी - आदरणीय को सादर प्रणाम!!

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