मेरी रग रग में समाया है पर नजर आता नहीं
दिल में तो आ जाता है पर घर मेरे आता नहीं
एक परछाई की तरह रहता है हरदम साथ में
भूल जाऊं मैं मगर हरगिज वह बिसराता नहीं
जब कोई मुश्किल पड़े या गम में डूबता हूँ मैं
नाम उसका ले लिया तो डर कोई रहता नहीं
मेरी मेहनत से ज्यादा बस अता करता हमेशा
प्यार भी भरपूर करता है कम कभी पड़ता नहीं
जिस्म में जो रूह है और दिल की धड़कनों में
दास बसता है खुदा कहीं ओर तो रहता नहीं II