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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

दादा-दादी,नाना-नानी का दौर - वन्दना सूद


दादा-दादी,नाना-नानी का दौर
पीढ़ी दर पीढ़ी बदलती रहतीं हैं
मनोरंजन के साधन बदलते रहते हैं
पर सबसे ख़ास दौर तो हुआ करता था
दादा-दादी और नाना-नानी का
उम्र बेशक ख़त्म हो जाएगी
पर यादें नहीं
और न ही ख़त्म होंगे
उनके साथ बिताए पल
आज छोटे छोटे बच्चों को
उनके दादाजी के साथ खेलते देखा
तो इतने समय बाद
हमें भी वो दिन याद आ गए..

हमारा अपने दादाजी से
कृष्ण-सुदामा की कहानी सुनना
सुबह सवेरे उनके साथ
सैर पर जाने का शौक होना
पर उनकी रफ़्तार से
अपने कदम न मिला पाना
उनके आस-पास बैठकर
किसी ने हाथ किसी ने पैर
और किसी ने सिर दबाते रहना
बड़े से बर्तन में खीर बनवाना
और सब बच्चों का एक साथ
उसी बर्तन में चम्मच घुमाना
नए दौर ने उम्र से पहले ही
हमारे बच्चे बड़े कर दिए
और हम बड़ों ने उन्हें
मनोरंजन की अलग दुनिया देकर
उनके जीवन की
खूबसूरत कहानियाँ ख़त्म कर दीं..


----वन्दना सूद


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सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

+

डॉ कृतिका सिंह said

बचपन की याद दिल दी इस कविता ने, आपने बहुत सुंदर लिखा है

वन्दना सूद replied

Thankyou ma’am हमने जो बचपन जिया आज कल के बच्चे कहाँ जी रहे हैं

श्रीकांत द्विवेदी said

Bahut Sundar Rachna purane bite hue pal yad a gaye

वन्दना सूद replied

शुक्रिया sir,ये पल कहाँ भूले जाते हैं

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