एक ख़ूबसूरत ग़ज़ल
जो फिर से होठों पे सजी है
खुशरंग हिना एक बार फिर
नाजुक हथेलियों पर रची है
नफ़ासत में डूबे अल्फाज़
दिलकश रूमानी अंदाज,
ऐसी मिसाल और कहाँ
उमराव, तू आज भी है जवान
अदाएं ऐसी कि दीवाना बना दे
कशिश इतनी कि घर भुला दे
हुस्न ओ जमाल का कायल जहान
उमराव, तू आज भी है जवान,
आज भी महफिल सजी है
आज भी मस्ताने हजारों है
जो थाम के दिल करते किस्से बयां
सच, उमराव, तू आज भी है जवान
Chitra