उनसे मुहब्बत है, मगर इजहार–ए–मुहब्बत नहीं..
दिल कहता है, अब मुझे धडकनों की जरूरत नहीं..।
खुदा के दर पर, इजहार·ए·दर्द कर आया कई दफा..
हसरत है बहुत मगर, ज़रा भी दाग–ए–हसरत नहीं..।
वहां गुल खिलेंगे भी तो, सबा·ए·खुशबू तो न होगी..
जिस बागबां के सीने में दिल·दरिया-ए-रहमत नहीं..।
मैं तेरे शहर में एक मुद्दत तक, ठहरा ही रहा मगर..
हमने तो देखा कि आपको, हंगामा-ए-फ़ुर्सत नहीं..।
बड़ी मुश्किल से रात के आख़िर में आती है नींद भी..
उस वक्त भी ना जाने क्यूँ , हमें ख़्वाब-ए-राहत नहीं..।
पवन कुमार "क्षितिज"


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







