आज मैं उसके ख़त लौटा आया हूँ
अहसान मैं जमाने पर कर आया हूँ
कुछ आंसू उससे छुपा कर ले आया हूँ
था मेरे पास कुछ भी नहीं क्या दे आया हूँ
मिलेगा कभी वो मुझसे तो किस तरह मिलेगा
मैं उसे अपना पता कहाँ दे कर आया हूँ
उसके घर के पीछे एक पेड़ पर मेरा नाम
लिखा था, उसकी छावं में रात बिता आया हूँ
था कहाँ मेरा कोई खुदा जो सुनता मेरी दुआ
मैं उसको अपना खुदा मुकरर कर आया हूँ
कुछ रातें थी मेरे असमान में सितारों से भरी
मैं सारे सितारे मिटा कर चाँद तोड़ आया हूँ
इससे बुरी और जिंदगी मैंने जी थी कभी
इससे बत्तर जिंदगी मैं अपनी करके आया हूँ
था क्या इश्क में कौन कह पाया है आजतक
बस एक झलक उसकी ले कर आया हूँ
एक उसकी मासूमियत एक मेरी गिंदगी
कत्ल दो दो कर आया हूँ

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




