तू लिखता जा मेरे किस्मत में अँधेरा,
मैं एक दिन सूरज बनकर चमकूँगा।
जब मैं आसमान में निकलूँगा,
मेरी प्रचंड किरणों से
तेरा रोम-रोम जल जाएगा।
तू निहारेगा जब मेरी ओर,
मेरे तेज से तेरी आँखें झुक जाएँगी।
तू तोड़ता जा मेरे हिम्मत की दीवार,
मैं एक दिन पर्वत सा दृढ़ बन जाउँगा।
तू लाख कोशिश कर ले,
पर मेरा वजूद न मिट पाएगा।
तू मारता जा लाख हथौड़े,
पर मेरे संकल्प के आगे तू हार जाएगा।
तू सोखता जा मेरे आँखों की नमी,
पर मैं एक दिन नदी बन जाउँगा।
तू बैठा रहेगा तट पर,
पर मुझको बाँध न पाएगा।
तू सोचता रहेगा मेरी बर्बाद,
पर मेरी प्रतिकूल धारा में
तू बीच मँझधार रह जाएगा।
----अनामिका