क्या सचमुच कभी..
नहीं धड़का होगा,
तुम्हारा दिल मेरे लिए,
इक बार भी कभी !!
क्या सचमुच कभी,
याद आई न होगी,
मेरी तुम्हें..
इक बार भी कभी !!
पूछना तो अपने...
दिल से भी कभी,
क्योंकि तुम्हारी नज़र,
कुछ और ही बयां करती है..
और तुम कुछ और ही !!
वेदव्यास मिश्र
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