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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

विभिन्न अशआर

तेरे दिल तक अगर पहुंच जाते ,
मेरे अल्फ़ाज़ मायने रखते ।

हैं तुझी से शुरू तुझ पर ख़त्म ,
मेरे अल्फ़ाज़ अब नहीं मेरे ।

इससे ज़्यादा मुझे नहीं कहना ,
तुम मेरे बाद भी मेरे रहना ।

पूंछ मत मुझे आलम ए तंहाई ,
ख़ुद के होते हुए भी तंहा हैं ।

कुछ निशां फिर भी रह गये बाक़ी ,
हमने लिख कर तुम्हें मिटाया है ।

रंग सारे तुम्हारे थे इसमें ,
मेरी तस्वीर कितनी सादा थी ।

ज़िक्र अक्सर तुम्हारा करते हैं,
तुम हमें पढ़ के देख सकते हो ।

बिख़र के तुझको दिखाऊं
ये नहीं मुमकिन ,
हम अपनी ज़ात में सिमटे हैं
अपने होने तक ।

मैं हूं तख़्लीक अपने या'रब की,
मुझको मिट्टी शुमार न करना ।

जानते हैं कि टूट जाएगा ,
तुम पे करखे यकीन बैठे हैं ।

ख़ाली -ख़ाली सा एक जहाँ हम हैं ,
तू नहीं है तो फिर कहां हम हैं ।

डाॅ फौज़िया नसीम शाद




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (1)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

ख़ाली -ख़ाली सा एक जहाँ हम हैं , तू नहीं है तो फिर कहां हम हैं । Sach kaha Dr Mam aapne aap aur aapke alfaaz agar nahi to Kahan ham hain

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