बादल बिजुरी देख के
कौसल्या अकुलात
चिंता करै संतति की
भावमयी है मात
हाथ जोड़ अरज करै
पहुंचे न आघात
सिय संग सुत दो मेरे
घूमत घूमत जात।
प्रकृति माँ ने अरजू सुन
रूप जू फिर बदल लियो
सिय राम और लखन को
अंक अपने भर लियो।
दृश्य सुहानो देख के
मात हृदय प्रसन्न भयो
धरती और आकाश से
अन्धेरो सारो मिट गयो
----सरिता बख्शी