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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

"आदमी भी रोता है"

"मर्द रोते नहीं" —
यही तो सुना है बचपन से,
पर क्या दिल नहीं होता उसके सीने में?
क्या दर्द नहीं बहता उसकी रगों में?
कहाँ नहीं रोया है वो आदमी?
जब पिता पहली बार बना —
नन्हे हाथों को छूते ही आँखें भर आईं।
जब बहन डोली में बैठी —
हँसते हुए आंखें बार-बार नम हुईं।
जब अपने प्रिय पालतू साथी ने अलविदा कहा —
उसकी याद में तकिये भीगते रहे।
जब नौकरी छूटी —
परिवार की आँखों से उम्मीद ना गिरने दी,
और रात में अकेले टूट कर रोया।
जब अपने बूढ़े पिता को अस्पताल ले गया —
और हर पल मौत से जंग लड़ता देखा।
जब मां ने पहली बार कहा —
"अब तुझे संभालना है",
उस जिम्मेदारी के भार में भी वो रोया।
जब किसी ने 'कमज़ोर' कह दिया —
तो अंदर कहीं दर्द हुआ,
पर चुप रहकर पी गया।
वो रोता है —
बंद दरवाज़े के पीछे,
कभी कार की सीट पर,
कभी ऑफिस के वॉशरूम में,
तो कभी बच्चों के सो जाने के बाद…
पर दिखाए कैसे?
सुनता आया है —
"मर्द रोते नहीं",
"मजबूत रहो",
"कमज़ोरी मत दिखाओ"।
मगर दिल इंसान का ही है ना?
इमोशन्स दबाने से
वो और भी घुटता है, टूटता है।
अब वक़्त है —
इस सोच को बदलने का,
मर्द को भी इजाज़त देने का,
कि वो भी रो सके, खुलकर जी सके।
क्योंकि आंसू कमजोरी नहीं होते —
वो इंसानियत की सबसे सच्ची भाषा हैं।
तो अगली पीढ़ी को ये मत सिखाओ —
"मर्द रोते नहीं",
बल्कि सिखाओ —
"मर्द भी महसूस करते हैं,
और रोना... पूरी तरह से ठीक है।"




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

+

शिवचरण दास said

वाह वाह. ..अश्क़ दिल और आंखे साफ करते हैं

Reha Sehgal replied

🙏🙏 keep supporting.... ap ka pyar hai jo apko yeh kavita achi lgi...

वन्दना सूद said

वाह बहुत सुंदर लिखा आपने 👌👌हर किसी को अपने एहसास दिखाने का हक है भावनाओं को सोच की बंदिशों में बाँधना ठीक नहीं है

Reha Sehgal replied

Thankyou somuch...apko kavita achi lgi yeh mery liye bhut badi bat hai 🙏🙏🙏
Keep supporting

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