अगर न हाे पैसा कुछ भी यहाँ नहीं है
जहाँ है पैसा सब कुछ वहीं है
स्वार्थ पूर्ण है हर किसी का नियत
रहा नहीं इंसान का इंसानियत
किसी में नहीं माेहबत स्नेह प्यार
न रहा आदर-सम्मान और संस्कार
दुनियां धन के ही पिछे दाैड रही है
अगर न हाे पैसा कुछ भी यहाँ नहीं है
मां बाप बेटा बेटी या और हाे भाइ बहन
बिबी या साेहर हाे ये सब रिस्ता नाता जैसा भी हाे
यत्र तत्र सर्बत्र बिरादरी कैसा भी हाे
सब के लिए सिर्फ वही रह गई है
अगर न हाे पैसा कुछ भी यहाँ नहीं है
न काेई रंग सब फीका-फीका है
हर रिस्ता-नाता पैसाें मेंही टीका है
अब ताे काफी बदल रहा संसार
आदमी से आदमी का कहाँ रहा प्यार?
मानव में मानवता नहीं ये कहाँ सही है
अगर न हाे पैसा कुछ भी यहाँ नहीं है
अगर न हाे पैसा कुछ भी यहाँ नहीं है.......
----नेत्र प्रसाद गौतम

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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