एक भी धागा बांध देता है
काम का, क्रोध का
एक भी धागा बांध देता है
राग का, द्वेष का
एक भी धागा बांध देता है
आशा का, इच्छा का
एक भी धागा बांध देता है
संयोग का, वियोग का
मुक्ति की राह पर यह काँटे सदैव पीड़ा देते आये है
मोक्षद्वार के यह भयानक द्वारपाल है
कोई एखाद पहुँच जाता है द्वार तक
बहुत मुश्किलों के बाद
खुल जाता है द्वार
कोई विरला
कोई निष्कपट
हे भगवंत..
तेरे चरणों का अनन्य दास।
✍️ प्रभाकर, मुंबई ✍️