भक्ति रस
प्रभु आपका संसार सागर कितना गहरा है यह तो हम नहीं
जानते ,
पर इस सागर की लहरें बहुत ऊँची-ऊँची हैं ।
हम में न इतनी भक्ति है और न ही इतनी बल,बुद्धि ,विवेक
हमें हठी,चंचल,नासमझ और अज्ञानी बालक जान हमारा हाथ पकड़ कर पार ले जाइए ,
आपके साथ के बिना इन काम,क्रोध,लोभ,मोह की लहरों को पार करने की हम में क्षमता नहीं है ।
-वन्दना सूद