(बाल कविता)
बच्चों के मन भाती तितली
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कलियों पर मंडराती तितली ।
बच्चों के मन भाती तितली ।।
प्यारे-प्यारे रंग अनोखे,
किससे लेकर आती तितली ।
चित्र छपे हैं जो पंखों पर,
कैसे इन्हें छपाती तितली ।
फूलों की पंखुड़ियों से भी,
आख़िर क्या बतलाती तितली ।
जाना होता अगर कहीं भी,
सुंदर पंख हिलाती तितली। ।
कभी-कभी घर में घुस-घुस कर,
सबसे हाथ मिलाती तितली ।
फुलवारी में रहने वाली,
मन में फूल खिलाती तितली ।
होती है बीमार अगर तो,
दवा कहां से लाती तितली।
हरदम खुशियां बांटा करती,
खुशी कहां से पाती तितली।
घूमा करती दूर-दूर तक,
सबका मन हर्षाती तितली।
रोना नहीं सदा हंसना है,
लोगों को सिखलाती तितली।
बैर-भाव न रखती मन में,
सबसे प्रेम निभाती तितली।
नन्हें-मुन्नों के संग खेले,
ममता सदा लुटाती तितली।
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~राम नरेश 'उज्ज्वल'
उज्ज्वल सदन
मुंशी खेड़ा,(अपोजिट एस-169ट्रांसपोर्ट नगर), एल.डी.ए. कालोनी,
लखनऊ-226012
मो: 07071793707