हम मै मै की बातें करते है
हम मेरा मेरा की बातें करते है l
हम काम की बातें करते है
हम कामना की बातें करते है l
हम पक्षपात की बातें करते है
हम स्वार्थ की बातें करते है l
हम स्पर्धा की बातें करते है
हम द्वंद्व की बातें करते है l
हम संघर्ष की बातें करते है
हम युद्ध की बातें करते है l
और हम अपने लिए सुख-शांति चाहते है
हे भगवंत...
सुख-शांति कैसे मिलेगी?
✍️ प्रभाकर, मुंबई ✍️