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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

हमारा वहम्

कितना बड़ा वहम है लोगों को
कि दूसरों के साथ जो हम कर रहे हैं
वो हमारे पास लौट कर वापिस नहीं आएगा
जो बच्चे आज अपने माता पिता को समय देने से भागते हैं
वो अपने लिए किसका समय माँगेंगे और कौन देगा ?
किसी को देखा मैंने
किसी की माँ को डिमेंशिया एल्ज़ाइमर ने पीड़ित किया
उनके बेटे बहु उनके डर से ख़ुद डरने लगे
उनके डर को खत्म करने की बजाय अपने डर को भगाने में लग गए
उनसे पिछा छुड़ाने लगे
उम्र का तक़ाजा है इसलिए डॉक्टर के नहीं गए
हीन भावना से भी घिर गए
उन्हें देख सोच आई
यदि इन दोनों में से किसी एक को यही बीमारी हो गई
तब भी एक दूसरे से दूर भागेंगे क्या ??
या माता पिता को छोड़ना दर्द नहीं देता !!
वन्दना सूद




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

सुभाष कुमार यादव said

सुंदर रचना।👌👌🙏🙏

वन्दना सूद replied

🙏🙏

श्रेयसी said

Sahi kaha ab yahi waqt aa gaya hai .Bahut sundar

वन्दना सूद replied

ऐसा वक़्त लाने वाले भी हम ही हैं यही दुख है

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

यदि यही अवस्थिति है तो निश्चय ही खुद में से किसी को कुछ होने पर भी एक दूसरे से दूर ही भागेंगे क्यूकि यदि आप जन्मदाता के नहीं होसकते या आपके जीवन साथी को आपके लायक बनाने वालों के नहीं होकर रह सकते तो आपसे यह अपेक्षा भी नहीं रखी जा सकती कि आप एक दूसरे के भी हो पाएंगे, या अपने बच्चों को इस काबिल बना पाएंगे, एक बार हीनभावना मन में घर कर ले तो फिर खुद भी हीन बन कर रह जाते हैं, भगवान से यही प्रार्थना है ऐसी स्थिति किसी के साथ उत्त्पन्न न हो या जिनके साथ हो रही या हो चुकी है उनको सद्बुद्धि प्रदान करें, आपने चिंतन मनन करने के लिए बहुत अच्छा लेख लिखा है Mam, सादर प्रणाम !!

वन्दना सूद replied

शुक्रिया 🙏🙏आज की सच्चाई है जो अधिकतर घरों में आज नज़र आती है त्याग की भावना ख़त्म हो गई सब में और मेरा मेरा में लग गए

Shivam Jee Sahay said

आपकी इस वास्तवि रचना को पढ़ कर कुछ लोगों की याद आ गई

वन्दना सूद replied

Life ki reality hai sabki zindagi aise lamhe se guzre honge

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