कभी ऊब जाते है हम वेद-मंत्रो से
कभी ऊब जाते है हम भागवत कथा से
कभी ऊब जाते है हम राम कथा से
कभी ऊब जाते है हम गीता प्रवचन से
प्यास कुछ और है,
और हम कुछ और प्राशन कर रहे है l
जानना कुछ और है,
और हम तीर्थ मंदिरों में भटक रहे है l
यह भटकन दुःखदायक है l
हम कभी जान नहीं पाते की हमे क्या चाहिए ?
यह अज्ञान दुःखदायक है l
यह आनंदयात्रा इतनी अशांत क्यूँ है ?
इस अनंत को संसार की चिंता क्यूँ है ?
इस पुरषोत्तम को सत्ता की लालसा क्यूँ ?
इस अमृत को मृत्यु का दर क्यूँ है ?
कुछ मौलिक प्रश्न है
हे भगवंत...
इन प्रश्नो के उत्तर तुम्हे देने होंगे l
✍️ प्रभाकर, मुंबई ✍️