"ग़ज़ल"
बेशक मैं परवाना हूॅं शम्अ तो हो रात तो हो!
मर मिटूॅंगा मर मिटने वाली कोई बात तो हो!!
सावन आग लगाता है तुम न कहा करते थे!
मैं भी तो देखूॅं आग का लगना बरसात तो हो!!
कुछ तेरे दिल की सुनता कुछ अपने दिल की कहता!
दो पल को सही तुम से कभी मुलाक़ात तो हो!!
ये सारी दुनिया दिलबर मेरे क़दमों में होगी!
मेरे दामन में तेरी उल्फ़त की सौग़ात तो हो!!
मैं टकरा जाऊॅंगा 'परवेज़' ज़माने से तन्हा!
मेरे हाथ में ऐ दिलरुबा! तेरा हाथ तो हो!!
- आलम-ए-ग़ज़ल परवेज़ अहमद
© Parvez Ahmad
The Meanings Of The Difficult Words:-
*शम्अ = मोमबत्ती (candle); *उल्फ़त = मोहब्बत (love); *सौग़ात = तोहफ़ा (gift).