इंसानियत की असली पहचान
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इंसान की अच्छाई केवल उसके शब्दों से नहीं, बल्कि उसके कर्मों से पहचानी जाती है। अक्सर लोग यह कहते तो हैं कि वे दूसरों की मदद करना चाहते हैं, लेकिन जब बात अपनी आवश्यकताओं या सुविधाओं को कम करने की आती है, तो अधिकांश लोग पीछे हट जाते हैं।
असल में वही इंसान सच्चा और नेकदिल कहलाने का हक़दार है, जो किसी ज़रूरतमंद की मदद के लिए अपनी इच्छाओं और ज़रूरतों को सीमित कर लेता है। दूसरों की तकलीफ़ को अपना मानकर, उनके लिए त्याग करने का हौसला रखना ही इंसानियत की असली कसौटी है।
सुख-सुविधाएँ हर कोई जुटा लेता है, लेकिन दूसरों के जीवन में मुस्कान बिखेरना और उनका दर्द कम करना बहुत कम लोग कर पाते हैं। यही गुण हमें भीड़ से अलग बनाता है और यह साबित करता है कि हम केवल इंसान नहीं, बल्कि एक अच्छे इंसान भी हैं।
डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद