कवी सम्मेलनो मे आजकल क्या होता हे
शायरा-संचालक के बीच टाइम पास होता हे
सम्मलेन तो हमने भी देखे हे पर अभद्र नहीं
शब्दों स्तर गीरा दोगे तो जनता पे असर होता हे
जनता में मां बहन बेटी बच्चे परीवार सब होते
तुम भले कवी बनगये तुम्हारे भी परिवार होते हे
वीररस हास्यरस श्रृंगार रस करुणरस भक्ती रस
ये सब होतो हिंदी का प्रचार प्रसार अच्छे से होता हे
अभद्र भाषा का प्रयोग करके पैसे कमाये नहीं जाते
सुनते होतो संभल जाओ पीछे मां-बाप का नाम होता हे
हिंदी सारे देश की भाषा इसकी लाज अब तुम्हारे हाथ
हिंदी की सेवा करो तो भगवान भी खुश होता हे
के बी सोपारीवाला