जागा सूरज, जागी किरणें
भरी आंगन में,ताजी किरणें
देख उजाला आंगन की
"हरे राम" कही जागी सजनी
वो नींद हमारी तोड़ गयी
खींची चादर झंझोड़ गयी
चुटकी बजाती कानों में
इतनी सुन्दर जागी सजनी
"अब जागो भी" कहती कहती
और पंखा बंद की दी धमकी
मीठी शरारत संग लिए
मीठी मीठी जागी सजनी
हाथों की चूड़ियों की खनखन
पांवों की पायल की छनछन
बजा बजाकर कानों में
जगा जगा कर जागी सजनी
आंगन में झाड़ू की खर खर
बर्तनों की ठन ठन ठोकर
भोर भजन की मीठी धुन
गाती गाती जागी सजनी।।
सर्वाधिकार अधीन है