(बाल कविता)
चिड़िया घर
हमने देखा चिड़िया घर ।
बहुत जानवर हैं अन्दर ।।
कई तरह के हिरण मिले,
बारहसिंघा शेर दिखे,
हुक्कू बन्दर झूले जब,
हुक्कू-हुक्कू बोले तब,
बुलबुल, मैना, मोर, बया,
सारस, तोता व बगुला,
शुतुरमुर्ग, काला तीतर ।
हमने देखा चिड़िया घर ।।
चिंपैंजी बन्दर झूमे,
गोरिल्ला उछले-कूदे,
शाही, गिद्ध मिले उल्लू ,
सुंदर बहुत लगे उल्लू ,
किंग कोबरा नाग दिखे ,
पनिहा, धामिन साँप मिले ,
मोटा-मोटा है अजगर ।
हमने देखा चिड़िया घर ।।
मुनिया ने आवाज़ लगाई,
पानी में घोड़ा दरियाई ,
कछुआ मगरमच्छ जल में,
जेब्रा दौड़े जंगल में ,
कंगारू भी घूम रहा,
जाने किसको ढूँढ़ रहा,
चीता टहले इधर-उधर ।
हमने देखा चिड़िया घर ।।
खड़ा जहाज बड़ा सुंदर ,
मुर्दाघर के ही बाहर ,
तितली वाला पार्क बड़ा ,
वहाँ बैठ आराम मिला ,
चिड़िया घर में रेल चली,
सबको लगती बहुत भली,
इसमें सबने किया सफ़र।
हमने देखा चिड़िया घर ।।
*******
~राम नरेश 'उज्ज्वल'
उज्ज्वल सदन
मुंशी खेड़ा,(अपोजिट एस-169
ट्रांसपोर्ट नगर), एल.डी.ए. कालोनी,
लखनऊ-226012
मो: 07071793707
ईमेल : ujjwal226009@gmail.com