राम भी आप हैं
कृष्ण भी आप हैं
सीता भी आप हैं
राधा भी आप हैं
शंकर भी आप हैं
शक्ति(गौरी)भी आप हैं
हर भाव हमारा आप ही हैं
कण कण में बसता हर रूप आपका है
कोई माता स्वरूप है कोई पिता स्वरूप है
कोई गुरु स्वरूप है तो कोई बन्धु सखा है
आप अनेकों में एक ही सही
हमको तो लगता हर रूप आपका प्यारा है
हमको तो लगता हर रूप आपका न्यारा है ….
वन्दना सूद