बच्चे बूढ़े एक समान
उम्र का हर पड़ाव
घड़ी के पहर की तरह है
जो घूम घूम कर बार बार जीवन में दस्तक देता है
बच्चे बूढ़े एक समान कहना आसान है
पर दिशा दिखाई जिन्होंने हमें
आज उन्हें क्या दिशा दिखाए,हम
उँगली पकड़ कर जिन्होंने चलना सिखाया
उन्हें किस राह ले जाएँ, हम
जिन्होंने अक्षर अक्षर बोलना सिखाया
आज उनके बोलने पर कैसे रोक लगाएँ,हम
हर साल हमारा जन्मदिन बहुत धूमधाम से मनाया जिन्होंने
उन्हें उनकी उम्र का एहसास कैसे करवा दें आज हम
ज़िन्दगी कभी कभी कितनी कश्मकश में डाल देती है
बच्चे को समझाना ,सिखाना ,पालना जितना आसान है
उतना ही मुश्किल है उनको हम पर विश्वास दिलवाना
कैसे उन्हें समझाएँ
कि उन्हें साथ लेकर चलने की ज़रूरत आज भी है हमें
उनके हक़ को परिवार में न खोने देने की चाहत आज भी है हमें
बेशक आज हमारी कई ज़िम्मेदारियाँ बढ़ गई हैं फिर भी हमारी पहली ज़िम्मेदारी आज भी वहीं हैं ..
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




