धन्य है वो माटी
शिवानी जैन एडवोकेटByss
धन्य है वो माटी, जिसने ऐसे वीर जन्माए,
अपनी जान हथेली पर रखकर, देश की शान बढ़ाए।
अडिग इरादे, फौलादी सीना, आँखों में ज्वाला धधकती,
मातृभूमि की रक्षा खातिर, हर चुनौती से हैं लड़ते।
नहीं मोह माया, नहीं डर कोई, कर्तव्य ही धर्म इनका,
बर्फ़ीली चोटियाँ हों या तपता रेगिस्तान, हरदम तत्पर इनका मन।
रात काली हो या दिन सुनहरा, पहरा देते हैं अविराम,
सीमाओं की रक्षा करते, ये भारत माँ के वीर जवान।
त्याग और बलिदान की मूरत, साहस की ये परिभाषा,
इनके दम पर ही सुरक्षित है, अपने देश की हर आशा।
सरहद पर खड़े ये प्रहरी, जैसे पर्वत हों अडिग,
दुश्मन की हर नापाक कोशिश को करते हैं ये विफल।
इनकी वीरता की गाथा गाता है हर कण,
इनके जज़्बे को सलाम करता है हर मन।
ये ही तो हैं भारत माँ के सच्चे रखवाले,
इनकी कुर्बानियों से ही तो हैं हम सब उजाले।
शत शत नमन इन वीरों को, करते हैं हम हर पल,
इनकी शौर्य गाथा से ही तो जगता है ये भूतल।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




