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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

अहिंसा - सर्व कल्याण विकास का मूल मंत्र

अहिंसा है जीवन का अनुपम संदेश,
न हो क्रोध, न हो द्वेष, न कटुता का प्रवेश।
करुणा की धारा बन बहती अहिंसा,
शांति की स्नेह-गंगा कहती अहिंसा।

न्याय की जननी, धर्म की रानी,
अहिंसा से होती सृष्टि सुहानी।
जहाँ वाणी न चुभे, न वचन हो कठोर,
वहीं खिलता है जीवन का कोमल भोर।

महात्मा बुद्ध ने जब हिंसा को त्यागा,
तभी विश्व ने करूणा का दीप जलाया।
"अहिंसा परमो धर्मः" — सम्राट अशोक ने बताया,
कलिंग की पीड़ा से जीवन का मर्म अपनाया।

अहिंसा है आत्मा की सबसे ऊँची उड़ान,
नहीं चाहिए तलवार, ना चाहिए कोई कमान।
यह शक्ति है, दुर्बलता नहीं,
मन की विजय है, शस्त्रों की नहीं।

जब मनुज अपनाए इस राह को सच्चा,
तभी मिटे हर द्वेष, और न बचे कोई पचड़ा।
जीवों में करुणा, ह्रदय में दया,
यही है जीवन की सच्ची माया।

अहिंसा से जुड़ती मानवता की कड़ी,
नफरत की दीवारें हो जाएं जड़ी।
यह प्रेम का बीज है, सबके भीतर बोओ,
आक्रोश की आग को शांति से धोओ।

अहिंसा से बढ़ता आत्म-संयम,
बनता है जीवन एक सुंदर तत्त्व-धर्म।
न हो पशुहत्या, न हो जीवदाह,
हो प्रकृति के संग एक मधुर राह।

यदि हर मन में बस जाए यह व्रत,
तो दुनिया में न रह जाए कोई संकट।
विश्व बने बगिया, अहिंसा उसका पुष्प,
हर मन हो सुगंधित, हर प्राण हो विशुद्ध।

हिंसा से होता सर्वनाश,
अहिंसा से होता सर्वकल्याण-विकास।
यह नीति नहीं, यह संस्कृति है,
यह मात्र साधन नहीं, शक्ति की प्रकृति है।

तो आओ मनुज! इस पथ को अपनाओ,
बुद्ध, गांधी, अशोक की वाणी दुहराओ।
अहिंसा है वो मंत्र जो सबको जोड़ता,
मानव को मानव से प्रेम में मोड़ता।

----अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र'




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (16)

+

उपदेश कुमार शाक्यावार said

अहिंसा पर विशेष संदेश, सुन्दर सृष्टि की परिकल्पना हर पंक्ति में प्रदर्शित होती बहुत खूब...आपको नमस्कार पहुँचे

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आदरणीय श्रद्धेय शाक्यवार सर जी के समीक्षा रुपी आशीर्वाद के लिए तहेदिल से आभारी हूँ एवं आपको सादर प्रणाम करता हूँ, आदरणीय का आशीर्वाद यथावत बना रहे ऐसी कामना करता हूँ, पुनः सादर प्रणाम

पवन कुमार "क्षितिज" said

अशोक जी बहुत गहराई से ज्ञान की गंगा बहाई है आपने.. आपने जो कहा उसका कुछ प्रतिशत भी इंसान जान ओर समझ कर पालन करने लगे तो इस धारा का स्वरूप ही बदल जाए..आपको प्रणाम 👌

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आदरणीय पवन जी आपकी उपस्थिति एवं प्रतिक्रिया मुझे गौरवान्वित महसूस करा रही है, इतनी मधुर समीक्षा के लिए आपका आभार एवं आशीर्वाद बनाये रखने के लिए आपको सादर प्रणाम आदरणीय

रीना कुमारी प्रजापत said

Bahut khubsurat rachna 👌👏🙏pranaam

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आदरणीय Mam, आपका तहेदिल से आभार एवं सादर प्रणाम

अमित श्रीवास्तव said

वाह बेहतरीन रचना महात्मा गाँधी गौतम बुद्ध एवं सम्राट अशोक के विचारों को प्रस्तुत करती हुयी एक बेहतरीन कृति - आप तक सम्मान पहुंचे

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आदरणीय अमित जी का उपस्थिति के लिए बहुत बहुत आभार एवं सादर प्रणाम

श्रेयसी said

वाह लाजवाब बहुत सुंदर संदेश 👌👌 आपको सादर प्रणाम 🙏🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आदरणीय Mam, आपका बहुत आभार एवं सादर प्रणाम, आपकी प्रतिक्रियाएं बेहतर लिखने के लिए प्रेरित करती हैं, अपना प्रतिक्रिया रुपी एवं भावनात्मक आशीर्वाद बनाये रखें पुनः सादर प्रणाम

ANIL KUMAR SHARMA said

वाह क्या बात है 👌 Bahut khubsurat rachna

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आदरणीय अनिल सर जी को सादर प्रणाम एवं आभार आपकी उपस्थिति से गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

वाह, अशोक जी, खूबसूरत रचना, अहिंसा की सुंदर ब्याख्या और मानव जीवन पर इसका शाश्वत प्रभाव को हृदय में गंगलहर की तरह उतारने और असर छोड़ने में आपकी रचना प्रबल साबित होती है। भगवान बुद्ध, महात्मा गांधी, सम्राट अशोक के जीवन का मूल मंत्र "अहिंसा परमो धर्म" को कोहनूरी शब्दों में सजाया है आपने।जीवन का कोमल भोर, प्रकृति के संग मधुर राह, आत्मा की सबसे ऊंची उड़ान, सुंदर और सारगर्भित वाक्यांशों को यथोचित स्थान पर भावों में डूबकर बिठाया है। आपकी रचनाओं को पढ़ने के बाद कवियों को प्रेरणा मिलती है। बधाई बधाई बधाई, अशोक जी। नमस्कार!!

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आदरणीय सोनवानी सर जी आपकी प्रतिक्रियाएं दिल से निकलकर दिल तक पहुँचती हैं, जिस प्रकार से आप समूची रचना के भाव को समीक्षा में शब्दबद्ध करते हैं प्रसंशनीय एवं कबीले तारीफ है, आप रचना एवं रचनाकार की क़द्र करना बखूबी जानते हैं, में तो आपके शिष्य तुल्य हूँ आपके इसी तरह के आशीर्वाद की आकांशा रखता हूँ और आपका हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ, सादर प्रणाम सर जी

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

कवियों को प्रेरणा मिलती है।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आदरणीय सोनवानी सर जी आप गुरु जनों का आशीर्वाद है जो कुछ थोड़ा बहुत लिख पाता हूँ

प्रभाकर said

अतिउत्तम रचना संदेश भी और सौंदर्य भी 👌प्रणाम अशोकजी👏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आदरणीय प्रभाकर सर जी को सादर प्रणाम एवं सराहना के लिए बहुत बहुत आभार

डाॅ पल्लवी "गुंजन" said

श्रेष्ठ समाज के लिए बेहतर सन्देश देती हुयी आपकी रचना शानदार कोशिश

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आदरणीय डॉ Mam,आपका बहुत बहुत आभार समय निकालकर रचना पढ़ने एवं समीक्षा के लिए

सुप्रिया साहू said

वाह...बहुत खूबसूरत एवं लाज़वाब रचना सर 👌👌, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आदरणीय सुप्रिया जी आपको सादर प्रणाम एवं समीक्षा के लिए आपका बहुत आभार

शिवचरण दास said

बहुत सुन्दर भाव. .... अहिंसा ही हर धर्म का मूल भाव है

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आपका बहुत आभार आदरणीय दास सर जी

Nand Kishor said

Uttam rachna

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आपका बहुत आभार आदरणीय

Manju Sharma said

विशेष काबिले तारीफ रचना 👌👌✍️✍️

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आपका बहुत आभार आदरणीय

फ़िज़ा said

Waah behtreen likha hai Ashok Ji 👏👏👌👌

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आपका बहुत आभार आदरणीय

देवांशी पटेल said

आपकी रचना अहिंसा के मायने और चेतना जाग्रत करने के लिए बहुत ही सशक्त है, बहुत उत्तम लिखा है आपने भाषा का सुन्दर प्रयोग एक उदहारण है हम सभी के लिए

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आपका बहुत आभार आदरणीय

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