ना सुकून से जीने देना था तो
ज़िंदगी दी क्यों थी मेरे खुदा,
अभी तो आधी उम्र भी नहीं जिये हम
फिर क्यों ले जा रहा मुझे मेरे खुदा।
अभी उम्र नहीं मेरी, तेरे संग चलने की,
थोड़ी और उम्र बीतने दे मेरे खुदा।
अभी हासिल ही क्या किया मैंने जिंदगी से,
अभी तो सब बाकी है मेरे खुदा।।
ना पूरी ज़िंदगी दी तूने मुझे
तो ये अधूरी ज़िंदगी दी क्यों थी मेरे खुदा,
अभी तो बचपना ही है मुझमें
थोड़ा समझदार तो बनने दे मेरे खुदा।
अभी तो बचपन है मेरा
जवानी तो मुझे जीने दे मेरे खुदा,
अभी अपनों का प्यार अधूरा है
मुझे उनसे पूरा प्यार तो पाने दे मेरे खुदा।।
ना जीने देना था मुझे
तो ज़िंदगी दी क्यों थी मेरे खुदा,
अभी मत छीन मुझे मेरे अपनों से
उनका मुझसे पूरा लाड़- प्यार करना
अभी बाकी है मेरे खुदा।
अभी तो दोस्त बनाए हैं मैंने
दोस्ती तो निभाने दे मेरे खुदा,
उनके साथ मटरगश्ती तो करने दे
अभी दोस्तों के साथ मटरगश्ती
बाकी है मेरे खुदा।।
✍️ रीना कुमारी प्रजापत ✍️