खुद ही खुद से आप उकता रहे हैं आजकल
प्यार की हर बात को ठुकरा रहे हैं आजकल
बदनसीबी है हमारी जिन्दगी का सिलसिला
इस कदर आप क्यूं मुस्कुरा रहे हैं आज़कल
आदमी है खुद में गुम या आदमी में जिन्दगी
कुछ नई तस्वीर खुद बनवा रहे हैं आजकल
जब हकीकत सामने आती है पर्दा छोड़कर
नित नए तूफान घर घर आ रहे हैं आजकल
दास आंखे नींद से बोझिल बहुत हैं रात दिन
जागते हम रात को समझा रहे हैं आजकल।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




