नज़र ने नज़र से कहां नैनो में कुछ है
टूटे हुए ख़्वाबों की कोई तस्वीर है
ढूंढ रही है वो.... धुंधली सी यादें
जिसमें महक रही कई सारी बातें हैं
मन भी पुकारें देखो कंपन भी भागे
बसेरा जहां तेरा वो जगह को सजाएं है
आकारमें मूर्ती देखो अलौकिक रची
लगे जैसे कोई पहचान जिंदा हुई है
नज़रोंने नज़र को तृप्त तोफ़ा दिया है
नज़र ने नज़र से कहां नैनोमें आराम है