बहुत रुलाया है मेरे अपनों ने मुझे काम के लिए,
कहते हैं कि हम कुछ काम नहीं करते।
हम सोचते हैं हम काम तो करते हैं बस शौक है
मेरे अपनों को मुझे रुलाने का,
तभी तो कहते हैं कि हम काम नहीं करते।
रो लिए हम बहुत और तय भी कर लिया है,
बस ये कहा नहीं अपनों से कि हम काम ही नहीं
नाम भी करेंगे।
ज़ुनून है अब तो यही कि
हम आसमां में सितारा बन चमकेंगे।
बहुत रुलाया है मेरे अपनों ने मुझे काम के लिए,
कहते हैं कि हम कुछ काम नहीं करते।
अब ये नादान क्या जाने कि हम बहुत खास काम
में लगे हैं,
और खास काम हम यूं सरे आम नहीं करते
तमन्ना है दिल में जहां में नाम करने की,
फिर क्यों रुके इस दर्द को लेकर कहने से अपनों के
कि हम काम नहीं करते।
मंज़िलों को पाना क्या काम नहीं ,
सपनों को हक़ीक़त में बदलना क्या काम नहीं,
जो कहते हैं ये कि हम काम नहीं करते।
🖋️ रीना कुमारी प्रजापत 🖋️
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




