शिकवे शिकायत किस लिए
गुल की तरह खिलो मेरे लिए
जिन्दगी रंगीन रहने दो मेरी
रंगी तरन्नुम थिरकते तेरे लिए
मुकद्दर के हिस्से में तुम आए
नूरानी चेहरा चमकाते तेरे लिए
ग़म कब के उडन छू हो गए
पुरानी बाते बिसराते तेरे लिए
हँसकर मिलने में कोई बुराई
दिखती नही 'उपदेश' तेरे लिए
भरोसा नही कोई जिन्दगी का
खुशियों की जन्नत है तेरे लिए
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद