ये वही गीत हैं
ये वही गीत हैं जो कभी गुनगुनाए न गए
किसी महफिल में कभी ये सुनाए
न गए
खिले हैं कई प्यार के र॔ग इन गीतों
में मेरे
जुदाई के र॔ग हैं इनमें गम के स॔ग
स॔ग मेरे
ये वो र॔ग हैं जिन्दगी के जो दिखाए
न गए
किसी महफिल में कभी ये सुनाए
न गए
उदासियों भी हैं इनमें और तन्हाइयां भी हैं
ये खुशी से झूमती हुई मेरी परछाईयां भी हैं
ये जज्बात हैं जो किसी से छुपाए
न गए
किसी महफिल में कभी ये सुनाए
न गए
कसक प्यार की इनमें याद अपनों
कई है
जो देखता है हर कोई ये बात सपनों की है
वही ख्वाब हैं आखों को जो दिखाए न गए
किसी महफिल में कभी ये सुनाए
न गए
खुशी मिलने की इनमें गम बिछङने का है
पतझङ भी है इनमें प्यार का मौसम भी है
ये वो सरगम है गीतों की जो सुनाए न गए
किसी महफिल में कभी ये सुनाए न गए
इन गीतों को घूंघट में जब छुपाया
हमने
नकाब गजलों के चेहरे पे यूं लगाया हमने
लाख कोशिश की मगर ये छुपाए न गए
किसी महफिल में कभी ये सुनाए
न गए
जब भी फुर्सत में तुम इनको
गुनगुनाओगे
यूं स॔ग इनके लिपट के तुम चले
आओगे
यह वही राज हैं यादव जो बताए
न गए
किसी महफिल में कभी ये सुनाए
न गए
- लेखराम यादव
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