सब कुछ खो कर एक जुनून में,
होता है दर्द बहुत अब सुकून में।
वो कहती जुदा कर के दिखा दो,
घुली हुई हूँ मैं..., तुम्हारे खून में।
जोगियों की तरह रम नहीं पाया,
दिल ही नहीं लगता इस धुन में।
ये आँखें क्यों बरसती हैं हरदम?
बादल बरसते हैं सिर्फ मानसून में।
अपराध एक सजाएँ अलग क्यों?
नाइंसाफी बहुत इश्क़ के कानून में।
🖊️सुभाष कुमार यादव

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




