"ये मेरी लेखनी"
ऐ लेखनी!
तू मेरा कितना साथ निभाती है।
ग़म में रोती है ,
खुशियों में मुस्काती है।
ऐ लेखनी!
तू मेरा कितना साथ निभाती है।
जब दिल मायूस होता है ,
तू दौड़ के मेरे पास आती है।
तू मेरे सारे ग़म लेकर ,
मुझे मुस्कुराना सिखाती है
भीड़ में अकेला देखकर,
तू मेरे नज़दीक आती है।
दुनिया की मुसीबतों से,
तू कहीं दूर मुझे ले जाती है
मन के बुरे विचारों को,
खुद के पास बुलाती है।
फिर मेरे दर्द को अपने ऊपर लेकर ,
तू मुझे खूब हँसाती है
दुनियादारी की अजीब सी रस्मों का,
तू मुझे एहसास कराती है।
लोगों के बदलते हुए चेहरों की तू,
मुझे अच्छे से पहचान कराती है
विपरीत परिस्थितियों में भी,
जीने का हुनर सिखाती है।
अच्छों से मिलाती है ,
बुरों से बचाती है
मेरे हर एक दर्द में ,
निस्वार्थ मेरा सहारा बन जाती है।
ऐ लेखनी!तू मेरा कितना साथ निभाती है।
रचनाकार- पल्लवी श्रीवास्तव
ममरखा, अरेराज, पूर्वी चम्पारण (बिहार )

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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