बंद बोरे में बांध के पैसे
बैठे थे बड़े शान से
हक गरीब का मार के
बैठे सीना तान के
एक दिन आयीं लहर
नमो लहर के नाम से
उड़ गई गठरी
खुल गई पोल
अब रोते दहाड़े मार के
बंद बोरे में बांध के पैसे
बैठे थे बड़े शान से
(एक पुरानी रचना)
✍️ #अर्पिता पांडेय