बदल रहें हैं रास्ते लोगों के
क्या हो रहें हैं फायदें लोगों को।
पुण्य मार्ग पर तो चलना कठिन है
पर पाप कर्म का भी परित्याग कठिन है।
पुण्य का मार्ग लंबा बहुत है
पर पाप का छोटा पर सकरा है।
लगता छोटा पर बहुत जानलेवा है।
पुण्य मार्ग पर थकना माना है
पर मंज़िल फूलों वाली आयेगी ।
पर पाप मार्ग लगता आसान पर
मंज़िल तुम्हें रुलाएगी।
सोच समझकर रखना कदम यारों
इसमें रीटेक नहीं है ।
जिस ओर बढ़ गए तेरे कदम
फिर वहां से वापस मुड़ना संभव नहीं है।
पुण्य मार्ग कटीला हीं सही पर लक्ष्य हासिल करा हीं देता है।
पर पाप मार्ग की मृगतृष्णा कभी ना निकल
पाने वाले दलदल में डाल देता है।
है यह कदम ताल यह कदम चाल
जो कभी भात तो कभी लात भी खिला देता है।
शह मात का खेल यह यारों किसी को हार
तो किसी को जीता दिला देता है।
इसलिए सोंच समझकर चुनना अपनी किरदारों को यारों ...
यहां उसके हिसाब से हीं चलना पड़ता है।
पाप पुण्य का लेखा जोखा भी यहीं पर
यहां सबको सबका हिसाब देना पड़ता है..
यहां सबको सबका हिसाब देना पड़ता है...