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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

याद आए तो क्या करूं

कापीराइट गजल

जब याद तेरी दिल को आए तो क्या करूं

यह नींद रातों में जब सताए तो क्या करूं


लगता नहीं कहीं दिल अब आप के बिना
जब ये यादें मुझे तेरी सताए तो क्या करूं

रात भर ये चांदनी हम को सोने नहीं देती
ये नींद आंखों से मेरी चुराए तो क्या करूं

दूर रह कर भी तुम, पास रहते हो मेरे
जो याद मुझ को ये तेरी आए तो क्या करूं

दिल मचलता है इन सावन की बारिशों में
यह गीत बूंदें जो इस में गाए तो क्या करूं


रोज चलती है हवा दिन में हल्के हल्के
बन के आंधी जो दिल में आए तो क्या करूं

मौसम है आशिकाना ये दिल है बदगुमां
मुझ को ऐसे में कोई यूं रुलाए तो क्या करूं

ये दिल, है कि अब, मानता नहीं यादव
तू बैठकर मेरे संग जो भुलाए तो क्या करूं

- लेखराम यादव
( मौलिक। रचना )


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

रीना कुमारी प्रजापत said

तालियां

Lekhram Yadav replied

सुप्रभात मेरी प्यारी बहना । आज तालियां बजा कर हौंसला बढ़ा रही होतो सोचो मुझे कितना अच्छा लगा होगा। आपको मेरा सादर प्रणाम।

रमेश चंद्र said

दूर रहकर भी तुम पास रहते हो मेरे जो याद मुझको यह Teri Aaye तो क्या करूं वह बहुत सुंदर

Lekhram Yadav replied

धन्यवाद सहित नमस्कार रमेश चन्द्र जी।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Yad aaye to mahfil sajaiye, 4 doston ko aur hamko bulaiye, Yadon ko zehan se nikalenge, Milkar mahfil ka maza lenge.

Lekhram Yadav replied

स्वागत है सर। आपके बगैर तो हमारी महफिल सज ही नहीं सकती।

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