वो शिवालय का शिव वाला
जिनका रूप है निराला,
जिसका मस्तक उजियारा,
जिनका नाम है मन में बसने वाला,
वो शिवालय का शिव वाला,
क्षण-क्षण जिसे मृत्यु जपें,
तन मन में जो बसता रहे,
कहें कहानी अनकही,
जिसकी दीवानी करुणा रहीं,
प्रेम जिसमें बहता रहे,
जिनमें देखूं अपने जीवन की गाथा,
जिनमें सब कुछ नया घटने वाला,
ऐसा मधुर समर्पण किसमें बसने वाला,
जिसका क्रोध ही दर्प को नष्ट करने वाला,
ऐसा कहाँ हर मर्म को समझने वाला,
वो शिवालय का शिव वाला।।
- ललित दाधीच