भारतीय वायु सेना के एक वर्षीय प्रशिक्षण उपरांत वर्ष 1971 में मेरी प्रथम पोस्टिंग भारत के चमक दमक भरे मुंबई शहर के बीच स्थित एक वायुसेना स्टेशन में हुई.
उत्तर प्रदेश के एक छोटेसे अनजान कस्बे से निकल कर सितारों भरे मुंबई शहर में पहुंचना मेरे लिए किसी चमत्कार से कम नहीं था. हर रविवार या छुट्टी के दिन लोकल पकड़ कर वी टी स्टेशन जाना आना मेरा प्रिय शगल था.
ऐसे ही एक शाम मुंबई वी टी स्टेशन पर टाइम पास खरीददारी के वक्त पाया कि एक लड़की
मेरे पीछे पीछे हर जगह चल रही थी और बार 2 मेरी और देख रही थी. यह समझने के बाद मैंने नजर भर उसे देखा तो वह मुस्कराने लगी. थोड़ी देर बाद वह मुंबई वी टी स्टेशन पर लोकल का टिकट
खरीदने लगी और फिर प्लेटफार्म पर ख़डी घाटकोपर की लोकल में लेडीज डब्बे में बैठ गईं. मेरे पास तो लेकिन मेरा दूसरे रूट का सीजन टिकिट था.
जैसे ही गाड़ी का सिग्नल हुआ मैं भी सोचे समझें बिना पास के डब्बे में बैठ गया. हालांकि मैं बिना टिकट था लेकिन मज़बूरी थी.
घाटकोपर स्टेशन पर उतरकर चलने लगी और में भी पीछे चलने लगा. सौभाग्य से गेट पर चैकर नहीं था.
करीब 1किलोमीटर चलने के बाद सामने एक गरीबों की बस्ती थी और उससे पहले ही उसने मुड़कर मुझे देखा और मेरे पास आकर उसने मेरा हाथ पकड़ लिया. उसकी आँखों से लगातार आंसू बह रहे थे.
मैं बहुत डर गया था कि कहाँ आ फंसा. तभी उसने
मेरा हाथ अपने सर पर रखते हुए कहा “ सुनो तुम नाराज मत होना. मैं एक गरीब लड़की हूँ. मेरा एक ही बड़ा भाई था जिसकी मृत्यु लोकल ट्रैन से गिरकर 15 दिन पहले ही हुई है.सर से पिता का साया भी नहीं है इसलिए माँ को सच नहीं बताया है. माँ से कहा है कि भाई नौकरी के लिए पूना गया है. मेरे बड़े उस भाई की शक्ल सूरत तुमसे हूबहू मिलती है. इस लिए मैं तुम्हें देख रही थी. चाहती थी कि तुम्हें अपने घर ले जाऊं और अपने भाई की तरह सत्कार करूँ लेकिन यदि माँ ने तुम्हें देख लिया तो विश्वास नहीं करेगी. इसलिए फिर कभी दोबारा इधर मत आना और भाई की याद में मत रुलाना.
मैंने उसके सर पर हाथ रखते हुए आशीर्वाद दिया और अपनी कलाई से घड़ी उतार कर देते हुए कहा कि जब भी जरुरत पड़े तो इस भाई को याद कर लेना.
फिर मुंबई वी टी पर जाकर कई बार उस बहन को ढूंढा याद किया लेकिन फिर मुलाकात नहीं हुई.
अफ़सोस यही हुआ कि उसका नाम पता क्यूँ नहीं लिया. घाटकोपर जाने की भी हिम्मत नहीं हुई. तभी बांग्लादेश युद्ध छिड़ने के कारण मेरी अन्यत्र पोस्टिंग हो गईं. लेकिन उस बहन के आंसू उसका वो चेहरा और उसका स्नेह अब भी यदा कदा मन को उसका अहसास करा देते हैं.