हर सुबह के साथ उठता बदन
पूरा करने को आता हर सम्मन
ना थकान का एहसास, ना चेहरे पर शिकन
क्योंकि अभी भी जिस्म में है स्पंदन
क्योंकि अभी भी मौत है अधूरी
दफन होकर ही शायद हत्या होगी पूरी
मौत से पहले कहां सुकून मिलेगा
जीवन मरण के बीच जिस्म चलता रहेगा