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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

वाह रे ज़िन्दगी

वाह रे ज़िन्दगी
धरा पर कदम क्या रखा
ज़िम्मेदारियों ने बाँध लिया
बच्चे के पहला कदम रखते ही उसके
बोलने ,चलना सीखने की ज़िम्मेदारी शुरू
बड़ा हुआ तो
पढ़ना,खेलना,तहज़ीब सीखने की शुरुआत हुई
फिर थोड़ा और बड़ा हुआ
समाज में कुछ कर दिखाने की ज़िम्मेदारी का बोझ शुरू
युवा हुआ तो
घर-परिवार की ज़िम्मेदारियों ने बाँध लिया
बुढ़ापे की देहरी आई
तो सेहत ने साथ जो छोड़ा ,आख़िरी साँस के इंतज़ार की ज़िम्मेदारी ने घेरा
वाह रे ज़िन्दगी!
ज़िम्मेदारियों में भी बाँधे रखा और कौतुक भी हमारा ही बनाया..
वन्दना सूद




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

Lekhram Yadav said

Dear Vandana Sood, it is a part of everyone's life. To understand this mistory you must read the story- Chothe Abba. 'चौथे अब्बा'।

वन्दना सूद replied

sure sir,I’ll definitely read it 😊

Vinay Kaushik said

Uttam prastuti aapne bhi shabdon ka maayajaal hi bun daala hai zindgi ko lekar.bahut achha prasang..

वन्दना सूद replied

धन्यवाद sir 😊

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

जिम्मेदारियां बहुत वजन होता है इस शब्द में - सुन्दर अभिव्यक्ति Mam

वन्दना सूद replied

शुक्रिया जी 😊

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