कविता : हर किसी की मजबूरी....
किसी को यहां आना जरूरी
किसी को यहां जाना जरूरी
किसी को यहां गवाना जरूरी
किसी को यहां भगाना जरूरी
किसी को यहां दबाना जरूरी
किसी को यहां बहलाना जरूरी
किसी को यहां फसाना जरूरी
किसी को यहां हंसाना जरूरी
किसी को यहां झुलाना जरूरी
किसी को यहां रुलाना जरूरी
किसी को यहां भटकाना जरूरी
किसी को यहां लटकाना जरूरी
किसी को यहां सुलाना जरूरी
किसी को यहां उठाना जरूरी
सभी को यहां अपनी अपनी जरूरी है
ये यहां हर किसी की एक मजबूरी है
ये यहां हर किसी की एक मजबूरी है.......
netra prasad gautam