ले जमीं, से फलक,
तनहा हूँ नाहक,
न सबर,न बसर,
तब से,अब तक,
कुछ सीखा तो हूँ,
पर बाकी हैं सबक,
नम हैं आंखें,
पर गम से नहीं,
खुशियों का सबब,
ना ही अब,ना ही तब,
शायद है ये गम,
नहीं होता है कम,
कुछ है बाकी,
पर कुछ भी नहीं,
तनहा सा सफर,
तो था न कभी,
मिल जाती हैं यूँ,
तो मंजिलेें सभी,
कुछ कभी,
कुछ कभी,
पर तब कुछ नहीं,
और अब कुछ नहीं,
रोता तो मैं हूँ,
पर रोता नहीं,
रोता हुआ खुद को
देखा भी नहीं,
जानता हूँ खुद को,
रोता हूँ बहुत,
अंदर ही कहीं,
चलता है पता,
हाँ मुझको भी,
ले जमीं, से फलक,
तनहा हूँ नाहक,
न सबर,न बसर,
तब से,अब तक।
-अशोक कुमार पचौरी
(जिला एवं शहर अलीगढ से)
लिखन्तु डॉट कॉम देगा आपको और आपकी रचनाओं को एक नया मुकाम - आप कविता, ग़ज़ल,शायरी,श्लोक,संस्कृत गीत, वास्तविक कहानियां, काल्पनिक कहानियां,कॉमिक्स, हाइकू कविता इत्यादि को हिंदी,संस्कृत,बांग्ला,उर्दू,इंग्लिश,सिंधी या अन्य किसी भाषा में भी likhantuofficial@gmail.com पर भेज सकते हैं।
कृपया सुनिश्चित करें की रचना आपकी अपनी है - हमारा मानना है की हमारे कवियों, लेखकों या पाठकों द्वारा भेजी जाने वाली रचनायें उनकी खुद की स्वयं रचित होती हैं। अन्यथा की स्थिति में पुष्टिकरण के बाद रचना को भेजे जाने वाले पाठक के नाम से रखना है या नहीं यह निर्णय लिखन्तु ऑफिसियल काव्य टीम सुनिश्चित करती है।
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




