तृष्णा और तुष्टि
तृष्णा से सहजता ख़त्म हुई
तो क्रोध और अहंकार विकसित हुआ
तुष्टि ने सहजता बढ़ाई
तो हर अवगुण गुण में बदल गया
जीवन के इन प्रतिद्वंदी दो शब्द ने
संसार को अथाह सागर बना दिया
तृष्णा इस सागर में तूफ़ान लेकर आए
संतुष्टि सागर को सहज शान्त बना दे
जो मिलना है वह मिल कर ही रहेगा
मेरा मेरा करके कुछ हाथ नहीं आएगा
तृष्णा कभी पूरी होगी नहीं
अपने हाथों पर यक़ीन कर हर कर्म निखार ले
हथेली की लकीरें अपने आप बदल जाएँगी॥
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




